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मशीन लर्निंग क्या है?
क्विक डेफ़िनेशन: मशीन लर्निंग आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का सबसेट है, यह ऐसा सिस्टम है जिससे कंप्यूटर्स कामों को इंसानों से बेहतर और ज़्यादा तेज़ी से परफ़ॉर्म कर पाते हैं, और इनमें ऐसे मॉडल्स शामिल हैं जो ज़्यादा डेटा दिए जाने पर परफ़ॉर्मेंस में सुधार करते हैं.
हालाँकि मशीन लर्निंग (ML) बहुत से लोगों के लिए पहुँच से बाहर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी जैसी लग सकती है, लेकिन हैरानी की बात है कि यह बहुत-से ऑर्गनाइज़ेशंस के लिए एक्सेस किए जा सकने वाला टूल है. दरअसल ज़्यादातर लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ML का इस्तेमाल करते हैं और अकसर उन्हें इसका अहसास नहीं हो पाता.
अहम बातें:
- ML मॉडल्स में कुछ फ़ैसलों से आने वाले आउटकम्स से “लर्निंग” द्वारा सुधार होता है.
- ML के तीन अहम एरियाज़ हैं — सुपरवाइज़ की गई लर्निंग, सुपरवाइज़ न की गई लर्निंग, और रीइन्फ़ोर्समेंट लर्निंग.
- ML का इस्तेमाल करने का सबसे सही समय है जब आपके पास इंसानों के पास मौजूद दिमाग की ताकत और बैठने के लिए समय से ज़्यादा डेटा हो.
- ML डेटा एनालिस्ट के जॉब के थकाने वाले उबाऊ कामों को अपने हाथ में लेकर प्रोडक्टिविटी बढ़ाता है.
यह जानने के लिए यह गाइड देखें कि मशीन लर्निंग कैसे काम करती है, ML के कितने टाइप हैं, इसके लाभ और नुकसान क्या हैं, और इस टेक्नोलॉजी का भविष्य क्या है.
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मशीन लर्निंग कैसे काम करती है
मशीन लर्निंग के प्रकार
मशीन लर्निंग सिस्टम्स का इस्तेमाल करने के लाभ
मशीन लर्निंग एल्गोरिदम्स की कमियाँ
बिज़नेसेज़ मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं
मशीन लर्निंग की हिस्ट्री
मशीन लर्निंग कैसे काम करती है
ML ऐसे प्रकार की टेक्नोलॉजी है जो कंप्यूटर सिस्टम्स को सीखने और अपने आउटपुट्स में सुधार करने में मदद करती है. मशीन लर्निंग में मशीनों से मददगार क्रिएशंस जेनरेट करने के लिए ऐसे एल्गोरिदम्स का इस्तेमाल किया जाता है जो दिक्कत को दूर करने के लिए रूल्स होते हैं.
ज़्यादातर ML मॉडल्स किसी एल्गोरिदम में डेटा इनपुट करके काम करते हैं. इसके बाद मॉडल ऑटोमैटिक रूप से अपने प्रिडिक्शंस में एरर्स ढूँढ़ेगा. यह अपने आउटपुट्स की तुलना करने और किन्हीं दिक्कतों के लिए चेक करने के लिए पहले के उदाहरणों का इस्तेमाल करता है. वहाँ से कोई ह्यूमन यूज़र या तो इन आउटपुट्स को या तो एक्सेप्ट करेगा और या रिजेक्ट करेगा. मशीन लर्निंग मॉडल को ट्रेन करके, समय बीतने के साथ-साथ मॉडल ज़्यादा कारगर और सटीक बन जाता है. जैसे-जैसे ML मॉडल्स ज़्यादा डेटा और एक्सपीरिएंस इकट्ठा करते हैं, वैसे-वैसे उन्हें इंसान की दखलअंदाजी की कम ज़रूरत होती है.
ML, AI से मिलता-जुलता है लेकिन इससे अलग है. मशीन लर्निंग किसी कंप्यूटर के समय बीतने के साथ बार-बार दोहराने से ज़्यादा इंटेलिजेंट बनने का प्रोसेस है. लेकिन AI के साथ कंप्यूटर इंसान की दखलअंदाजी के बिना टास्क्स को परफ़ॉर्म करने के लिए अपनी नॉलेज़ का इस्तेमाल करता है. इन दोनों टेक्नोलॉजीज़ के बीच सबसे बड़ा फ़र्क यह है कि AI, इंसानी इंटेलिजेंस को कॉपी कर सकता है, जबकि ML बस पैटर्न पहचान कर टास्क्स को परफ़ॉर्म करता है.
मशीन लर्निंग के प्रकार

सुपरवाइज़ की गई लर्निंग
सुपरवाइज़ की गई लर्निंग एक तरह की डेटा साइंस है जिसमें लेबल किए गए ऐसे डेटा का इस्तेमाल किया जाता है जिसे डेटा के साथ जुड़े आउटकम्स के बारे में खास जानकारी के साथ टैग किया गया है. उसके बाद एक मॉडल को यह सीखने के लिए ट्रेन किया जाता है कि लेबल किए गए इनपुट डेटा को असाइन किए गए आउटकम्स को कौन से फ़ीचर्स या वेरिएबल्स प्रिडिक्ट कर रहे हैं. इसके बाद मॉडल अपनी खुद की परफ़ॉर्मेंस को ऑकने और आउटकम्स को प्रिडिक्ट करने के लिए आउटपुट डेटा से जानकारी का इस्तेमाल कर सकता है.
सुपरवाइज़ की गई लर्निंग में दो अहम यूज़ केसेज़ शामिल होते हैं — क्लासीफ़िकेशन और लिनियर रिग्रेशन. क्लासीफ़िकेशन किसी क्लास लेबल को प्रिडिक्ट करता है. उदाहरण के लिए, आप यह प्रिडिक्ट कर सकते हैं कि क्या कोई कस्टमर खरीद बर्ताव जैसे एट्रिब्यूट्स के आधार पर किसी ब्रांड के साथ अपने संबंधों को तोड़ लेगा.
लीनियर रिग्रेशन न्यूमेरिकल लेबल को प्रिडिक्ट करता है, जैसे आपके विचार में खास एट्रिब्यूट्स के आधार पर किसी कस्टमर से आपको कितनी आमदनी होने की उम्मीद है. किसी कंडीशन के उलट इसका आउटकम एक न्यूमेरिकल वेरिएबल होता है.
सुपरवाइज़ की गई लर्निंग में क्वालिटी आउटपुट्स जेनरेट करने के लिए मज़बूत मशीन लर्निंग मॉडल की ज़रूरत होती है. यह जानें कि ML मॉडल्स कंप्यूटर द्वारा जेनरेट किए जा सकने वाले अलग-अलग टाइप्स के आउटपुट्स पर कैसे असर डालते हैं.
सुपरवाइज़ न की गई लर्निंग
सुपरवाइज़ न की गई लर्निंग रॉ, लेबल न किए गए डेटा के सेट के साथ शुरू होती है. सुपरवाइज़ न की गई लर्निंग का अहम मकसद डेटासेट और उन किन्हीं भी अतिरिक्त डेटा प्वाइंट्स के बीच कनेक्शंस ढूँढ़ना है जो आप मॉडल को देते हैं.
इस तरीके से आपको डेटा या क्लस्टर्स के अंदर संबंधों पर आधारित ग्रुप्स ढूँढ़ने में मदद मिल सकती है जिनका इस्तेमाल कस्टमर सेगमेंट्स बनाने के लिए किया जा सकता है.
रीइन्फ़ोर्समेंट लर्निंग
रीइन्फ़ोर्समेंट लर्निंग रॉ, लेबल न किए गए डेटा के सेट को किसी मॉडल में इनपुट करके शुरू होती है. उसके बाद मॉडल एक्शन लेता है. उस एक्शन के आधार पर मॉडल को इस बारे में फ़ीडबैक मिलता है कि क्या इसने सही तरीके से एक्शन लिया या गलत तरीके से, और उस एक्शन के आउटकम्स क्या हुए. उसके बाद मॉडल एक और एक्शन बनाता है और तब तक सीखता रहता है जब तक मॉडल ऑप्टिमाइज़ेशन हासिल नहीं कर लिया जाता.
रीइन्फ़ोर्समेंट लर्निंग का शानदार रियल-वर्ल्ड उदाहरण Netflix जैसी मूवी स्ट्रीमिंग सर्विस पर सिफ़ारिश एल्गोरिदम है. यह सर्विस आपको ऐसी मूवी दिखाती है जो आपको पसंद या नापसंद हो सकती है और यह आपकी “पसंदगी” या “नापसंदगी” रेटिंग से यह तय करना सीखती है कि क्या इसे आपको इसी तरह की मूवीज़ की सिफ़ारिश करते रहना चाहिए.
मशीन लर्निंग की हिस्ट्री
जबकि ML सुनने में नई टेक्नोलॉजी लग सकती है, लेकिन यह कई दशकों से मौजूद है. आज जिस मशीन लर्निंग को हम जानते हैं, उसकी जड़ें 1940 के दशक तक पुरानी हैं.
1940 का दशक
1943 में, वॉरेन मैककुलॉच और वाल्टर पिट्स ने पहला न्यूरल नेटवर्क बनाया. इससे कंप्यूटर्स इंसानी इंटरैक्शन के बिना एक-दूसरे से कम्यूनिकेट कर पाए.
1950 का दशक
एलन ट्यूरिंग ने यह तय करने के लिए Turing Test बनाया कि क्या मशीनें इंसानों की तरह बर्ताव कर सकती हैं. आज भी रिसर्चर्स यह देखने के लिए Turing Test का इस्तेमाल करते हैं कि क्या इंसान, इंसानों द्वारा जेनरेट किए गए और मशीन द्वारा जेनरेट किए गए आउटपुट्स के बीच अंतर बता सकते हैं.
1960 का दशक
थॉमस कवर और पीटर हार्ट ने K-Nearest Neighbours (KNN) एल्गोरिदम को पब्लिश किया जो ऐसे पहले ML एल्गोरिदम्स में से एक था जो बड़ी मात्रा में डेटा से पैटर्न्स की पहचान कर सकते थे.
1970 का दशक
पॉल वर्बोस ने 1974 में The Roots of Backpropagationटाइटल से एक डिज़र्टेशन लिखा था जिसने बैकप्रोपेगेशन का रास्ता बनाया — यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे न्यूरल नेटवर्क्स ज़्यादा सटीक रूप से पैटर्न्स की पहचान कर सकते हैं.
1980 का दशक
Explanation Based Learning (EBL) ने कंप्यूटर्स के लिए डेटा को एनालाइज़ करना और खुद को ट्रेन करना और गैर-ज़रूरी डेटा को नज़रअंदाज़ करना मुमकिन बनाया. आर्टिफ़िशियल न्यूरल नेटवर्क NetTalk ने भी सीखा कि इंगलिश टेक्स्ट को सही तरीके से कैसे प्रोनाउंस करें.
1990 का दशक
1997 में, IBM ने दुनिया को तब चौंका दिया जब इसके सुपरकंप्यूटर Deep Blue ने एक्सपर्ट इंसानी चेस खिलाड़ी को हरा दिया. इसने दुनिया को दिखाया कि मशीन लर्निंग न केवल इंसानी परफ़ॉर्मेंस को मैच कर सकती है बल्कि इससे आगे निकल सकती है.
2000 का दशक
एक फ़्री सॉफ़्टवेयर लाइब्रेरी Torch (जिसे अब PyTorch के नाम से जाना जाता है) दुनिया का पहला लार्ज-स्केल ML प्लेटफ़ॉर्म बना — जिसने मशीन लर्निंग को कहीं ज़्यादा एक्सेस करने लायक बनाया. 2000 के दशक में कंप्यूटर्स ने डीप लर्निंग से टेक्स्ट और इमेजेज़ को “देखने” का तरीका भी सीखा.
2010 का दशक
Google ने Google Brain को डेवलप किया जो ऑब्ज़ेक्ट्स को ऑटोमैटिक रूप से कैटगराइज़ करने वाला डीप न्यूरल नेटवर्क है . Facebook, Amazon, और Microsoft ने भी ML मॉडल्स डेवलप किए.
2020 का दशक
नवंबर 2022 में OpenAI का ChatGPT पूरी दुनिया पर छा गया. इस टेक्नोलॉजी ने ML और AI को उन आम लोगों के लिए एक्सेस करने लायक बना दिया, जो जॉब कवर लेटर्स से लेकर ईमेल्स लिखने तक, हर काम के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं.

मशीन लर्निंग सिस्टम्स का इस्तेमाल करने के लाभ
मशीन लर्निंग ऐसी उपयोगी टेक्नोलॉजी है जो बिज़नेसेज़ को मदद करती है:
- प्रोडक्टिविटी बढ़ाएँ. 80% से ज़्यादा एंप्लॉयीज़ का मानना है कि AI काम पर उनके परफ़ॉमेंस में सुधार करता है. आम तौर पर इंसानों के लिए रिज़र्व किए गए टास्क्स को ऑटोमेट करके, ML ऑर्गनाइज़ेशन की प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकती है.
- कस्टमर्स की मदद करें. कंपनियाँ अपने कस्टमर्स की ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए अपने प्रोडक्ट्स को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए ML का इस्तेमाल करती हैं. दरअसल, 62% कंज़्यूमर्स तब अपना डेटा शेयर करना चाहते हैं यदि इससे उन्हें बेहतर एक्सपीरिएंस मिले.
- इंसानी गलती को कम करें. ML ऐसे मैन्युअल टास्क्स को ऑटोमेट करती है जिनमें आम तौर पर इंसानी गलतियाँ और टाइपिंग की गलतियाँ होने की गुंजाइश होती है. इसका मतलब है कि आपका ऑर्गनाइज़ेशन बेहतर बिज़नेस इनसाइट्स के लिए क्लीनर डेटा का लाभ उठा सकता है.
- मौजूदगी बढ़ाएँ. इस पर विचार करें कि 51% कंज़्यूमर्स बिज़नेसेज़ के 24/7 मौजूद रहने की उम्मीद करते हैं. अपने बिज़नेस के लिए ML सॉल्यूशंस को इंप्लीमेंट करने से आप दिन-रात कस्टमर्स के लिए मौजूद रहते हैं.
- रिस्क को दूर करें. कंप्लायंस को पूरा न कर पाने से आपके ऑर्गनाइज़ेशन को लाखों का जुर्माना भरना पड़ सकता है और बिज़नेस का नुकसान हो सकता है. अच्छी बात यह है कि ML आपको स्केल पर कंप्लायंट बने रहने में मदद करने के लिए पहले से तय किए गए रूल्स को फ़ॉलो करती है.
- दोहराए जाने वाले टास्क्स कम करें. ML डेटा एंट्री जैसे उबाऊ टास्क्स को ऑटोमेट करती है ताकि आपके एंप्लॉयीज़ ज़्यादा हाई-वैल्यू टास्क्स पर फ़ोकस कर सकें. दरअसल, 68% एंप्लॉयीज़ टास्क्स को एग्ज़िक्यूट करने में खुद की मदद किए जाने के लिए और अधिक AI-बेस्ड टेक्नोलॉजीज़ चाहते हैं.
- इनसाइट्स को अनकवर करें. ML ऐसी इनसाइट्स को अनकवर कर सकती है जहाँ इंसानों में इन पर विचार करने तक की ब्रेन पावर नहीं होती है.
मशीन लर्निंग एल्गोरिदम्स की कमियाँ
मशीन लर्निंग सिस्टम्स का इस्तेमाल करने में कुछ कमियाँ हैं, जिनमें ये शामिल हैं:
- ज़रूरी डेटा की मात्रा. ML मॉडल्स के कारगर होने के लिए ज़्यादातर विशाल मात्रा में डेटा की ज़रूरत होती है.
- डेटासेट का साइज़. कोई मॉडल कितना अच्छा है, यह तय करने के लिए डेटासेट का साइज़ और क्वालिटी दो सबसे बड़े फ़ैक्टर्स हैं, और जितना ज़्यादा डेटा आपके पास है, उस डेटा को सुपरवाइज़ किए गए लर्निंग तरीकों में इस्तेमाल करने के लिए एक्युरेट रूप से लेबल करने में उतना ज़्यादा समय लगता है.
- डेटा टाइप्स को कंबाइन करना. आपको अलग-अलग तरह के ऐसे डेटा के बारे में सोचना होगा जिसे आपको मॉडल को मज़बूत बनाने के लिए अपने डेटासेट में जोड़ने की ज़रूरत है क्योंकि आप मशीन को इस तरह फ़ैसले लेना सिखा रहे हैं जैसे इंसान लेते हैं.
- संभावित बायस. ML की एक और कमी नैतिकता से जुड़ी है, खास तौर पर जब गहराई से सीखने की बात आती है. इनमें से बहुत-से मॉडल्स यह शेयर नहीं करते कि वे फ़ैसले कैसे लेते हैं, इसलिए आप पूरी तरह से श्योर नहीं होते कि वे किन फ़ैक्टर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. मॉडल उतना ही अच्छा होता है जितना डेटा आप इसमें फ़ीड करते हैं, लेकिन इसके बावजूद शायद आपको पता न चले कि मॉडल किस तरह के संबंध नोटिस करेगा और क्या वे नैतिक रूप से उचित हैं.
- संभावित गलतियाँ. यह याद रखना अहम है कि हालाँकि ML इंसानी आउटपुट्स से ज़्यादा कारगर हो सकती है लेकिन यह गलतियों से परे नहीं है. यदि आपके डेटा या लॉजिक में गलतियाँ हैं, तो मशीन लर्निंग मॉडल उन गलतियों को दिखाएगा.
- लागत. यदि आप अपने ऑर्गनाइज़ेशन के लिए कस्टम ML बनाना चाहते हैं, तो इन मॉडल्स को बनाने ओर मेंटेन करने के लिए डेटा साइंटिस्ट्स को हायर करने की लागत इससे जुड़ी होती है. ऑर्गनाइज़ेशंस किसी मॉडल को इस्तेमाल करने के पहले पाँच सालों में औसतन $60,000 से $95,000 तक खर्च करते हैं. हालाँकि Adobe Sensei जैसे सॉल्यूशंस को चुनने से आपका ऑर्गनाइज़ेशन इनमें से कई खर्चों को ऑफ़सेट कर पाता है.
मशीन लर्निंग परफ़ेक्ट नहीं है, लेकिन ऑर्गनाइज़ेशंस सही सिनारियोज़ के लिए सही ML मॉडल चुनकर इनमें से बहुत-सी कमियों को दूर कर सकते हैं.
बिज़नेसेज़ कैसे मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रहे हैं
ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ ML एलगोरिदम्स को इंप्लीमेंट करने से किसी ऑर्गनाइज़ेशन के रिसोर्सेज़ को स्ट्रीमलाइन करने और ऑप्टिमाइज़ करने में मदद मिल सकती है. एक आम केस है जब बड़ा डेटा किसी इंसान के लिए चुनना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन इसमें अहम जानकारी होती है जो कंपनी के फ़ैसले लेने में जानकारी दे सकती है.
यह लाभ सिर्फ़ टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए नहीं है — पूरी दुनिया की 68% कंपनियाँ ML का इस्तेमाल करती है, और इस संख्या के बढ़ने की संभावना है. मशीन लर्निंग बहुत फ़ायदेमंद है, इसलिए अलग-अलग उद्योगों में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है.
हेल्थकेयर
हेल्थकेयर कंपनियाँ बड़ी मात्रा में पेशंट डेटा को प्रोसेस करने के लिए ML का इस्तेमाल करती हैं — और यह सब डेटा प्रोटेक्शन कानूनों का पालन करते हुए किया जाता है. उदाहरण के लिए, कुछ ऑर्गनाइज़ेशंस बीमारियों का शुरुआत की स्टेजेज़ में पता लगाने के लिए डायग्नोस्टिक इमेजिंग की एक्युरेसी में सुधार करने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करती हैं. यह धोखाधड़ी का पता लगाने, गलतियाँ पकड़ने, और ट्रीटमेंट को पर्सनलाइज़ करने में भी सहायक होती है.
मैन्युफ़ैक्चरिंग
ज़्यादा से ज़्यादा मैन्यूफ़ैक्चरर्स स्मार्टर प्रिवेंटिव मेंटेनेंस के लिए ML को अपना रहे हैं. ऐसी मशीनें जिन्हें अभी मेंटेनेंस की ज़रूरत नहीं है, उन्हें मेंटेन करने में समय और पैसा बर्बाद करने की बजाय मैन्यूफ़ैक्चरर्स डेटा ट्रेंड्स को एनालाइज़ करने और कौन-सी मशीनें सर्विस की जाती हैं, इसे ऑप्टिमाइज़ करने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हैं.
लेकिन सिर्फ़ यही अकेला तरीका नहीं है जिस तरह मैन्यूफ़ैक्चरर्स मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हैं. वे अपनी फ़ैसिलिटीज़ के अंदर सेमी-ऑटोनॉमस और ऑटोनॉमस वेहिकल्स को मैनेज करने के लिए भी इस टेक्नोलॉजी का भी लाभ उठाते हैं.
एंटरटेनमेंट
क्या आपका Netflix अकाउंट है? यदि हाँ, तो आप ML को प्रैक्टिस में देख चुके हैं. यह स्ट्रीमिंग सर्विस थंबनेल्स को पर्सनलाइज़ करने, मूवीज़ और शोज़ की सिफ़ारिश करने, और स्ट्रीमिंग क्वालिटी को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करती है.

मार्केटिंग
मान लेते हैं कि आपकी मार्केटिंग टीम अलग-अलग कस्टमर सेगमेंट्स से नए डेटा को रिव्यू कर रही है. हाई-परफ़ॉर्मिंग सेगमेंट्स को पहचानने या कस्टमर सेगमेंट B के प्रेफ़रेंसेज़ के मुकाबले कस्टमर सेगमेंट A के प्रेफ़रेंसेज़ क्या हैं, इसकी पहचान करने के लिए अलग-अलग एट्रिब्यूट्स को छाँटना मुश्किल है.
जितनी मात्रा में डेटा मौजूद है, उसे देखते हुए काम के उपयोगी इनसाइट्स इकट्ठा करना तो छोड़िए, इस बात की भी संभावना नहीं है कि आपकी मार्केटिंग टीम के पास इस पूरे डेटा को प्रोसेस करने के लिए ब्रेन पावर होगी. यह काम ML तेज़ी से और शायद इंसानों से बेहतर कर सकती है.
मशीन लर्निंग ऑटोमेशन का इस्तेमाल करने से आपको ऐसे प्रिडिक्टिव इनसाइट्स मिल सकते हैं जो शायद आपकी टीम को खुद की कोशिशों से न मिल पाते.
फ़ाइनांस
फ़ाइनांस की दुनिया में रोबो-एडवाइज़र्स दिनों-दिन मशहूर होते जा रहे हैं. उदाहरण के लिए Wealthfront जैसी सर्विसेज़ अपने यूज़र्स के लिए पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट को ऑटोमेट करने के लिए ML और AI का इस्तेमाल करती हैं. इससे फ़ाइनांस कंपनियों द्वारा क्लायंट्स को मैनेज्ड इनवेस्टमेंट्स का लाभ देते हुए क्लायंट्स के इनवेस्टमेंट्स को मैनेज करने में कम समय लगाना पड़ता है.
मशीन लर्निंग से जबरदस्त कस्टमर एक्सपीरिएंसेज़ को पावर करें.
क्या आपको मशीन लर्निंग (ML) से बेहतर सेगमेंटेशन और पर्सनलाइज़ेशन की ज़रूरत है? Adobe Real-Time CDP मदद कर सकता है.
सुझाए गए आर्टिकल्स
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