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डीप लर्निंग बनाम मशीन लर्निंग: तुलना
आज सभी जगह बिज़नेस लीडर्स पर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML), डीप लर्निंग, और नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) जैसी अन्य नई टेक्नोलॉजीज़ का असर है. हालाँकि ये एडवांसमेंट्स एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं, लेकिन इन सब में AI अहम है.
AI ऐसा ब्रॉड कन्सेप्ट है जिसमें इंसानी इंटेलिजेंस की नकल करने, टास्क्स को परफ़ॉर्म करने, और खुद को बार-बार दोहराकर सुधारने के लिए डिज़ाइन की गई कोई भी टेक्नोलॉजी शामिल है. ML, AI का सबसेट है, और डीप लर्निंग, ML का सबसेट है.
मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं और इनका इस्तेमाल NLP टूल्स को डिलीवर करने, आवाज पहचानने का टास्क परफ़ॉर्म करने, इमेजेज़ को प्रोसेस और इंटरप्रेट करने, चैटबॉट्स को पावर करने आदि के लिए किया जाता है. जो बिज़नेस लीडर्स मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ और कॉम्पटिटिव बने रहना चाहते हैं, उन्हें यह समझना होगा कि ये टेक्नोलॉजीज़ क्या हैं, ये काम कैसे करती हैं, और इनके लाभ क्या हैं.
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डीप लर्निंग क्या है?
मशीन लर्निंग क्या है?
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग के बीच फ़र्क
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग के लाभ
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग एक साथ कैसे काम करती हैं
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग को अप्लाई कैसे करें
डीप लर्निंग क्या है?
डीप लर्निंग में कम से कम तीन अलग-अलग लेयर्स वाला न्यूरल नेटवर्क होता है. ये नेटवर्क्स साथ मिलकर इंसान के दिमाग के कॉग्निटिव फ़ंक्शंस की नकल करने की कोशिश करते हैं जिससे टेक्नोलॉजी विशाल मात्रा में डेटा को एनालाइज़ करके सीखती है और आगे बढ़ती है. सिंगल न्यूरल नेटवर्क प्रिडिक्शंस कर सकता है, लेकिन अन्य अन्य लेयर्स जोड़ने से एलगोरिदमिक एक्युरेसी बढ़ जाती है.
बहुत-सी आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजीज़ ह्यूमन इनपुट की ज़रूरत के बिना फ़िजिकल और एनालिटिक्स एक्शंस परफ़ॉर्म करने के लिए डीप लर्निंग का सहारा लेती हैं. इनके कुछ उदाहरणों में क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का पता लगाना, वॉयस सर्च, और डिजिटल असिस्टेंट्स शामिल हैं.
रिसर्चर्स लगातार डीप लर्निंग के नए इस्तेमाल खोज रहे हैं. हमारे आसपास कुछ रोमांचक एप्लिकेशंस में खुद चलने वाली कारें और इंसानों को चीज़ें उठाने और पैक करने में मदद करने वाले ऑटोनॉमस वेयरहाउसिंग इक्विपमेंट शामिल हैं.
डीप लर्निंग में लगातार इनवेस्टमेंट्स और इसके यूज़ केसेज़ में बढ़ोतरी की वजह से इसके मार्केट में साल 2023 से 2030 के बीच 33.5% की कंपाउंड सालाना ग्रोथ रेट रहने का अनुमान है.
मशीन लर्निंग क्या है?
मशीन लर्निंग AI की ऐसी ब्रांच है जिसमें इसकी नकल करने के लिए डेटा और एलगोरिदम्स का इस्तेमाल किया जाता है कि इंसान नॉलेज़ कैसे हासिल करते हैं और ट्रायल एंड एरर से कैसे सीखते हैं. ML एलगोरिदम्स को किन्हीं दिए गए टास्क्स के लिए सीखने और सुधार करने के लिए विशाल मात्रा में डेटा की ज़रूरत होती है. इसका प्रोसेस डीप लर्निंग से थोड़ा-सा अलग होता है जो कि ML का सबसेट है.

सुपरवाइज़ की गई लर्निंग
सुपरवाइइज़ की गई लर्निंग ऐसी गाइडेड लर्निंग तकनीक है जिसमें यूज़र एलगोरिदम्स को जाने-पहचाने डेटासेट्स मुहैया करवाता है. हर डेटासेट में आउटपुट्स और इनपुट्स होते हैं.
जैसे ही एलगोरिदम प्रिडिक्शंस करता है, वैसे ही ऑपरेटर करेक्शंस करता है ताकि मशीन सीख सके और आगे बढ़ सके. ऑपरेटर इस प्रोसेस को तब तक दोहराता है जब तक सिस्टम एक्युरेसी का स्वीकार करने लायक लेवल हासिल नहीं कर लेता.
सेमी-सुपरवाइज़्ड लर्निंग
सेमी-सुपरवाइइज़्ड लर्निंग में ऑपरेटर एलगोरिदम को जाने-पहचाने डेटासेट्स और लेबल न किया गया डेटा मुहैया करवाता है. लेबल किए गए डेटा में ऐसे टैग्स शामिल होते हैं जो एलगोरिदम को इसे समझने में मदद करते हैं. लेबल न किए गए डेटा में कोई भी टैग्स या आइडेंटिफ़ायर्स शामिल नहीं होते हैं.
टैग किए गए और टैग न किए गए डेटा को एनालाइज़ करके ML एलगोरिदम अनस्ट्रक्चर्ड जानकारी को प्रोसेस करना सीख सकता है.
रीइन्फ़ोर्समेंट लर्निंग
रीइनफ़ोर्समेंट लर्निंग एलगोरिदम को ट्रायल एंड एरर का इस्तेमाल सिखाने के लिए रेजिमेंटेड प्रोसेसेज़ परफ़ॉर्म करती है. ऑपरेटर सख्त पैरामीटर्स बनाता है और ML सिस्टम को एक्शंस का डिफ़ाइंड सेट मुहैया करवाता है. एलगोरिदम उन्हीं हदों के अंदर डेटासेट को खोजेगा और सीखेगा कि कौन-सी स्ट्रैटेजीज़ मनचाहे रिज़ल्ट्स देती हैं.
सुपरवाइज़ न की गई लर्निंग
सुपरवाइइज़ न किए गए लर्निंग प्रोसेस में ML एलगोरिदम को बड़ा डेटासेट मुहैया कराया जाता है. इसे कोई गाइडेंस नहीं दी जाती बल्कि यह इसकी बजाए अपने हिसाब से डेटा को ऑर्गनाइज़ और अरेंज करने के लिए फ़्री होता है.
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग के बीच फ़र्क
ML प्रोसेसेज़ में एलगोरिदम को सटीक प्रिडिक्शंस करना सीखने के लिए लगातार और ज़्यादा जानकारी डालनी होती है. उदाहरण के लिए, किसी ML एलगोरिदम को किसी खास डेटासेट के बारे में ज़्यादा जानकारी हासिल करने के लिए फ़ीचर एक्सट्रेक्शन परफ़ॉर्म करना पड़ सकता है.
इसके उलट डीप लर्निंग सॉल्यूशंस अपनी खुद की सहज डेटा प्रोसेसिंग केपेबिलिटीज़ के ज़रिए सटीक प्रिडिक्शंस करने के लिए मल्टी-लेयर्ड न्यूरल नेटवर्क इंफ़्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी एक्युरेट आउटपुट पेश करने के लिए ज़रूरी इंसानी दखल की मात्रा को काफ़ी हद तक कम कर देती है. इसके अलावा डीप लर्निंग एलगोरिदम्स विशाल डेटासेट्स को प्रोसेस कर सकते हैं, चाहे वे अनस्ट्रक्चर्ड हों.
चलिए कुछ अहम फ़र्कों के बारे में जानकर डीप लर्निंग बनाम मशीन लर्निंग के मेकैनिज़्म्स को और ज़्यादा समझते हैं
डेटा प्वाइंट्स की संख्या
मशीन लर्निंग एलगोरिदम्स सिर्फ़ कम मात्रा में डेटा का इस्तेमाल करके प्रिडिक्शंस कर सकते हैं. लेकिन, इन एलगोरिदम्स के पास जितने ज़्यादा डेटा का एक्सेस होता है, इनके प्रिडिक्शंस उतने एक्युरेट होते हैं.
कोई आउटपुट देने के लिए डीप लर्निंग एलगोरिदम्स में विशाल मात्रा में डेटा फ़ीड किया जाना चाहिए — जब उन्हें छोटे डेटासेट्स दिए जाते हैं, तब वे फ़ंक्शन नहीं कर सकते.
फ़ीचराइज़ेशन प्रोसेस
मशीन लर्निंग में यूज़र्स को एक्युरेट तरीके से टैग करना होगा या डेटा फ़ीचर्स की पहचान करनी होगी. आम तौर पर, ML एलगोरिदम्स इंडिपेंडेंट फ़ीचराइज़ेशन — नए फ़ीचर्स बनाने का प्रोसेस, नहीं कर सकते.
इसके उलट, डीप लर्निंग एलगोरिदम्स अनस्ट्रक्चर्ड डेटा से हाई-लेवल के फ़ीचर्स सीख सकते हैं. ये एलगोरिदम्स इंडिपेंडेंट रूप से नए फ़ीचर्स भी बना सकते हैं.

हार्डवेयर डिपेंडेंसीज़
मशीन लर्निंग सॉल्यूशंस तीन या इससे कम न्यूरल नेटवर्क लेयर्स का इस्तेमाल करते हैं जिसका मतलब है कि उन्हें फ़ंक्शन करने के लिए बहुत ज़्यादा कंप्यूटिंग पावर की ज़रूरत नहीं होती. इस तरह, ML एलगोरिदम्स लोअर-एंड इक्विपमेंट पर रन कर सकते हैं.
डीप लर्निंग के दौरान, एलगोरिदम बहुत बड़ी संख्या में मेट्रिक्स मल्टीप्लीकेशन ऑपरेशंस परफ़ॉर्म करेगा. इन ऑपरेशंस को आसान बनाने के लिए मज़बूत हार्डवेयर की ज़रूरत है.
एग्ज़िक्यूशन टाइम
ज़्यादातर मशीन लर्निंग एलगोरिदम्स को कुछ घंटों में ट्रेन किया जा सकता है, जबकि खास तौर पर आसान एलगोरिदम्स को कुछ मिनट्स में ही ट्रेन किया जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि एलगोरिदम सिर्फ़ कुछ न्यूरल नेटवर्क लेयर्स का इस्तेमाल करके जानकारी को प्रोसेस करता है.
इसके उलट, डीप लर्निंग एलगोरिदम्स बहुत-सी छुपी हुई लेयर्स का इस्तेमाल करके डेटा को प्रोसेस करते हैं. खास तौर पर साफ़िस्टिकेटेड एलगोरिदम्स को ट्रेन करने में कई दिन या यहाँ तक कि कई हफ़्ते भी लग सकते हैं.
आउटपुट
मशीन लर्निंग एलगोरिदमिक आउटपुट्स ज़्यादातर हमेशा न्यूमेरिकल वैल्यू में दर्शाए जाते हैं. यह वैल्यू क्लासीफ़िकेशन या स्कोर हो सकती है.
डीप लर्निंग आउटपुट्स के आवाजों, स्कोर्स, या टेक्स्ट समेत कई रूप हो सकते हैं. यह वर्सेटिलिटी डीप लर्निंग को कंज़्यूमर्स के साथ कम्यूनिकेट करने से लेकर वॉयस-एक्टिवेटेड TV रिमोट को पावर करने तक, कई तरह के एप्लिकेशंस के लिए उचित बनाती है.
लर्निंग अप्रोच
ML एलगोरिदम्स पेचीदा लर्निंग प्रोसेसेज़ को छोटे, मैनेज किए जा सकने लायक स्टेप्स में तोड़ देते हैं. उसके बाद एलगोरिदम अपने रिज़ल्ट्स को कंसॉलिडेटेड आउटपुट में कंबाइन करता है.
डीप लर्निंग से शुरू-से-अंत की अप्रोच का इस्तेमाल करके समस्याओं को हल किया जाता है. एलगोरिदम रॉ इनपुट डेटा का इस्तेमाल करके समस्या में आगे बढ़ता है और इसे मैन्युअल फ़ीचर एक्सट्रेक्शन की ज़रूरत नहीं होती.
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग के लाभ
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग के कई लाभ हैं. यहाँ कुछ सबसे खास लाभ दिए गए हैं.
- डेटा इनपुट के ज़्यादा सोर्सेज़. अनेक अनुमानों के मुताबिक, कंपनियों द्वारा कलेक्ट किए जाने वाला 80% से 90% तक डेटा अनस्ट्रक्चर्ड होता है. इस डेटा को स्टैंडर्ड टूल्स का इस्तेमाल करके एनालाइज़ नहीं किया जा सकता, लेकिन ML और DL टूल्स को कंबाइन करके बिज़नेसेज़ इसका लाभ उठा सकते हैं.
- बेहतर, अधिक तेज़ फ़ैसले लेना. डीप लर्निंग और ML एलगोरिदम्स बिज़नेस लीडर्स को एक्शनेबल इनसाइट्स मुहैया करवाते हैं जिनका इस्तेमाल वे फ़ैसले लेने के प्रोसेसेज़ को गाइड करने में कर सकते हैं.
- बढ़ी हुई ऑपरेशनल एफ़िशिएंसी. एक US बिज़नेस सर्वे के मुताबिक, 33% रिस्पोंडेंट्स ने “समय की बचत” को मशीन लर्निंग टूल्स का सबसे बड़ा लाभ बताया.
- बेहतर कस्टमर एक्सपीरिएंस. मशीन लर्निंग टूल्स आपकी टार्गेट ऑडिएंस के दिमाग में एक्शनेबल इनसाइट्स डालकर कस्टमर एक्सपीरिएंस में बहुत ज़्यादा सुधार कर सकते हैं. कंज़्यूमर्स भी यही कहते हैं, क्योंकि सर्वे में भाग लेने वाले 48% लोगों ने कहा कि यदि AI ने उनके एक्सपीरिएंस को बेहतर बनाया, तो वे इसके साथ “और ज़्यादा बार” इंटरैक्ट करेंगे.
- लागत में कमी. कस्टमर्स के दिमाग के अंदर क्या चल रहा है इसकी एक झलक देकर, फ़ैसले लेने में तेज़ी लाकर, और कुल मिलाकर एफ़िशिएंसी बढ़ा कर, ML और डीप लर्निंग टूल्स लागत में बड़ी बचत मुमकिन बना सकते हैं.
जैसा कि आप देख सकते हैं कि अपने वर्कफ़्लो में मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग एलगोरिदम्स को शामिल करने का आपके बिज़नेस के हर पहलू पर पॉज़िटिव असर हो सकता है.

डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग एक साथ कैसे काम करती हैं
डीप लर्निंग मशीन लर्निंग का सबसेट है, इस तरह दोनों टेक्नोलॉजीज़ पहले ही एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं. लेकिन, आप डेटा के पेचीदा सेट्स को समझाने के लिए जान-बूझकर डीप लर्निंग एलगोरिदम्स और ML एलगोरिदम्स को एक-दूसरे के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं.
यह कैसे काम करता है
डीप लर्निंग सॉल्यूशंस पहले बताया गया न्यूरल नेटवर्क बनाने के लिए बहुत-से मशीन लर्निंग एलगोरिदम्स को स्ट्रक्चर या लेयर करेंगे. जैसे-जैसे डेटा हर लेयर से होकर गुजरता है, वैसे-वैसे एलगोरिदम जानकारी को असेस करेगा और जो यह सीखता है, उसके आधार पर फ़ैसले लेगा.
मान लीजिए कि आपने कस्टमर की शॉपिंग आदतों के बारे में विशाल मात्रा में डेटा इकट्ठा कर लिया है जिसमें से ज़्यादातर अनस्ट्रक्चर्ड है. तो आप रॉ डेटा को छाँटने और कैटगराइज़ करने के लिए डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकते हैं. बाद में आप ग्रेन्युलर विवरण को पहचानने के लिए जानकारी के छोटे और नए स्ट्रक्चर किए गए सबसेट्स को एफ़िशिएंट तरीके से असेस करने के लिए ML एलगोरिदम्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल रोज़ाना किया जा रहा है. AI-पावर्ड वॉयस असिस्टेंट्स इसका बड़ा उदाहरण है क्योंकि 97% मोबाइल यूज़र्स पहले से ही इस टेक्नोलॉजी पर भरोसा करते हैं.
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग को अप्लाई करना
आपको अपने वर्कफ़्लो में AI टेक्नोलॉजीज़ को शामिल करते समय मशीन लर्निंग या डीप लर्निंग के बीच चुनने की ज़रूरत नहीं है. इसकी बजाय आप दोनों की कॉम्प्लिमेंट्री केपेबिलिटीज़ का लाभ उठा सकते हैं. आइए हम डीप और मशीन लर्निंग की अलग-अलग इंडस्ट्रीज़, बिज़नेस इस्तेमालों, और सोसाइटल एप्लिकेशंस की तुलना करते हैं.
डीप लर्निंग के यूज़ केसेज़
डीप लर्निंग के कुछ यूज़ केसेज़ में ये शामिल हैं:
- फ़ाइनांशियल सर्विसेज़ डीप लर्निंग एलगोरिदम्स फ़ाइनांशियल इंस्टिट्यूशंस को मार्केट की कंडीशंस का फ़ोरकास्ट करने, इनवेस्टमेंट्स को गाइड करने, और कस्टमर्स को बेहतर ढंग से सर्व करने में मदद कर सकते हैं.
- कस्टमर सर्विस. डीप लर्निंग कस्टमर सर्विस टीम्स को सपोर्ट की डिलीवरी में तेज़ी लाने और यूज़र की ज़रूरतों को प्रिडिक्ट करने की ताकत दे सकती है.
- कानून को लागू करना. कानून को लागू करने वाली एजेंसीज़ जुर्म के ट्रेंड्स को प्रिडिक्ट करने और कम्यूनिटीज़ की रक्षा करने के लिए डीप लर्निंग का इस्तेमाल कर सकती हैं.
- हेल्थकेयर. डीप लर्निंग टूल्स हेल्थ प्रोफ़ेशनल्स को डायग्नोज़ करने और मरीज़ के आउटकम्स में सुधार करने में मदद कर सकते हैं.
डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी लगातार आगे बढ़ रही है, इसलिए इसमें कोई शक नहीं है कि यह कई अन्य इंडस्ट्रीज़ में दाखिल होगी.
मशीन लर्निंग के यूज़ केसेज़
कुछ ML यूज़ केसेज़ में ये शामिल हैं:
- पर्सनलाइज़्ड वेबसाइट्स. ML से ब्रांड्स ब्राउज़िंग हिस्ट्री और अन्य डेटा के आधार पर कंज़्यूमर्स को पर्सनलाइज़्ड एक्सपीरिएंसेज़ दे सकते हैं.
- सर्च इंजन्स. इसी तरह, सर्च इंज़न्स भविष्य के बर्ताव को प्रिडिक्ट करने और यूज़र्स को बेहतर रिज़ल्ट्स देने के लिए ML एलगोरिदम्स का इस्तेमाल करते हैं.
- चैटबॉट्स. समय बीतने के साथ, चैटबोट्स यह सीख सकते हैं कि यूज़र्स के सवालों के ज़्यादा तेज़, ज़्यादा सटीक रिस्पॉन्सेज़ कैसे दें.
यह जानें कि Adobe Real-Time Customer Data Platform (CDP) इन जैसे यूज़ केसेज़ का लाभ उठाने और आपके बिज़नेस के लिए मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग को काम में लेने में कैसे आपकी मदद कर सकता है.
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